मोहब्बत की उम्मीद पे ही जिन्दगी सँवरती है
झुकी - झुकी नजरों में मोहब्बत बसीं रहती है
मोहब्बत में ही सब कुछ बयां हो जाता है यारों
इशारे ही सबकुछ है जो लबों पे नहीं आती हैं।
@रमेश कुमार सिंह/२९-०४-२०१५
झुकी - झुकी नजरों में मोहब्बत बसीं रहती है
मोहब्बत में ही सब कुछ बयां हो जाता है यारों
इशारे ही सबकुछ है जो लबों पे नहीं आती हैं।
@रमेश कुमार सिंह/२९-०४-२०१५
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें